Read this also: गोरक्षपीठाधीश्वर ने हवन के बाद रात में किया महानिशा पूजा गोरक्षपीठाधीश्वर को पात्र देवता के रूप में पूजा जाता, करते हैं न्याय नवरात्रि के बाद विजयादशमी के दिन नाथ परंपरा के अनुसार गोरक्षपीठाधीश्वर को पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। ( GorakhshPeethdheeshwar Yogi Adityanath will give judgement on Vijaydashmi) पात्र देवता के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ विजयदशमी के दिन रहेंगे। परंपरानुसार नाथ संप्रदाय से जुड़े सभी साधु-संत और पुजारी मिल कर मुख्य मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर की पात्र पूजा कर दक्षिणा अर्पित करते हैं। इस पूजा में सिर्फ उन्हें ही प्रवेश मिलता है जिन्होंने नाथ संप्रदाय के किसी योगी से दीक्षा ग्रहण की हो। उन्हें यहां अपने संप्रदाय एवं दीक्षा देने वाले गुरु की घोषणा करनी होती है। तकरीबन तीन घंटे तक चलने वाले इस परम्परागत कार्यक्रम में शामिल होने के बाद ही मंदिर का महंत मंदिर परिसर से बाहर आता है। गोरक्षपीठाधीश्वर पात्र देवता दक्षिणा स्वीकार करते हैं लेकिन अगले दिन दक्षिणा साधुओं को प्रसाद स्वरूप लौटा दी जाती है।
Read this also: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दशहरा के राममंदिर को लेकर कह दी बड़ी बात नाथ योगियों के विवाद पर न्याय करते हैं पात्र देवता नाथ परंपरा के अनुसार गोरक्षपीठाधीश्वर पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित होता है। वह नाथ समाज का दंडाधिकारी भी माना जाता है। नाथ संप्रदाय (Nath dynasty) के सभी संत जिनके खिलाफ कोई शिकायत रहती है। पात्र देवता उसकी सुनवाई करते हैं। अहम यह कि पात्र देवता की इस अदालत में उनके सामने कोई भी संत झूठ नहीं बोलता है। अगर कोई दोषी है तो वह अपनी गलती स्वीकार करता है तो उसे सजा देने या माफी का अधिकार पात्र देवता को होता है। यही नहीं अगर कोई दोषी पाया जाता तो उसे पात्र देवता सजा सुनाते हैं। इस प्रक्रिया को चिलम साफी की प्रक्रिया भी कहते हैं। परंतु गोरक्षपीठ में हुक्का और धूम्रपान की इजाजत नहीं है। दूसरे साधू संत भी गोरक्षपीठ में प्रवास के दौरान इस बात का ध्यान रखते हैं।